छब्बीस नवम्बर वह दिन था जब भारत पर आतंकी हमला हुआ था । पूरे साठ घण्टे चले उस हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया । साठ घण्टे उस खौफ में बिताने के बाद देश्वासी गुस्से और पीड़ा से भरे हुये थे। नेता और सरकार के मंत्री लोगों के गुस्से से डरे हुये थे ,यही वजह रही कि हर घटना के बाद टी.वी पर तोते की तरह ब्यान देने वाले नेता इस बार चुप रहें । आम जनता ने रोष रैली ,प्रदर्शन किये । समाचार-पत्रों ,न्यूज़ चैनलस ,इंटरनैट पर अपने संदेश भेजे ।नामी-गिरामी हस्तियों ने मोमबत्तियाँ जला कर शांति प्रदर्शन किया ।लोगों ने आंतकवाद से लड़ने और पाक पर हमले की बातें की । सरकार ने भी कठोर कदम उठाने के वायदे किये । आम से लेकर खास तक में भावनाओं का ऐसा ज्वर उठा जैसा आज तक पहले कभी नही दिखा , लोगों ने शहीदों के प्रति सम्मान जताया और आतंकवाद को मुँह तोड़ जवाब देने के साथ ही नव-वर्ष को सादगी से मनाने का संकल्प लिया ।
आज मन में आया कि मुबंई हमले के साठ दिन बाद एक बार फिर पीछे की और देखा जायें । डर ,दर्द ,गुस्से और पीड़ा के साथ और भी कई तस्वीरे उभरी जो बेहद शर्मनाक थी । देश का आम आदमी जो उन साठ घण्टों में गुस्से और खौफ में था , नव-वर्ष से एक रात पूर्व सब भूल कर जशन में व्यस्त था । यह जशन ना सिर्फ बड़े महानगरों में था बल्कि छोटे शहरों में भी कुछ यही हाल था । इस तरह आम आदमी ने आतंकवाद को मुँह तोड़ जवाब दिया ।खिलाड़ियों ने खेल कर , फिल्मी सितारों ने अपनी फिल्मों की धमाकेदार लांचिग कर आतंकवाद को मुँह तोड़ जवाब दिया । न्यूज़ चैनलस ने कुछ दिन तक लोगों को आतंकवाद से लड़ने की शपथ दिलायी और फिर आमिर-शाहरुख की पर्दें और पर्दें की जंग पर स्पेशल रिर्पोट दिखा आतंकवाद को मुँह तोड़ जवाब दिया । आखिर में सरकार ,जी वे पहले भी आखिर में ही थी और आज भी आखिर में है । एक ओर हमारे प्रणव दादा बड़ी उत्तेजना में पाक को कड़ी कारवाई करने की चेतावनी दे देश की जनता को वरगलाते है तो दूसरी और नर्म ब्यान दे अमेरीका को संकेत दिया जाता है कि कुछ नही किया जायेगा । सरकार पाक से लड़ाई नही करेगी पूरा देश जानता था ,मत कीजिये पाक से लड़ाई ,पर देश के अंदर जो दुश्मन बैठे है उन से तो लड़े । पी.ओ.के शिविरों पर बमबारी नही हो सकती पर पुँछ हमारा अपना इलाका है वहाँ वायु सेना की कारवाई क्यों नही की गई ? पाक से आतंकी बाद में माँगना पहले अंतुले ,अर्जुन सिंह ,अमर सिंह जैसे नेताओं पर सख्त कारवाई करो जो उल्टे-सीधे ब्यान दे देश को पूरे विश्व के सामने शर्मसार कर रहे । सब जानते है आतंकी कहाँ से आ रहे तो ऐसे में उन्हें पकड़ कर जेल में डालने का कया मतलब ,सीधी बात है जो हमला करने आया है उसे खत्म करों । हम छोटे-छोटे देशों को सबूत दिखा रहे ,ऐसे देशों को जो स्वंय अपने गृहयुद्ध से नही निपट पा रहे वे आतंकवाद की लड़ाई में कैसे हमारा साथ दे सकते है ,समझ से परे है ।
यह तस्वीरे मन में पीड़ा पैदा करती है पर कुछ ऐसी तस्वीरे भी बनी जिससे सिर शर्म से झुक गया । नेताओं से तो कोई उम्मीद ही नही करता जैसे नेता समाज से हमारे बीच में से नही दूसरे ही गृह से आये है । नेताओं के बाद बारी आई अपनी फिल्म लाईन की । तमिलों के हक के लिये उपवास तक करने वाले हमारे साऊथ के अभिनेता मुबंई हमले पर नही बोले चलिये वे तो नही बोले पर हद की हमारी हिन्दी फिल्मी अभिनेत्रीयों ने । देश में डांस शो ना करने का वाय्दा करने वाली अभिनेत्रीयों ने देश के बाहर जा कर डांस शो किये । और आखिर में कुछ युवा शक्ति के बारे में भी पता कर ले । हमारे युवा सांसब हमले के बाद से खामोश है उनकी यही प्रतिक्रिया है । पर सब से बड़ा क्षोभ और खिन्न मुझे तब हुई जब मैने पढ़ा कि कर्नाटक के पब में डांस कर रही लड़कियों से मारपीट हुई । मैं इस समय मारपीट की घटना पर प्रतिक्रिया व्यक्त नही कर रही ,मुझे गुस्सा इस बात का है कि यह शहर यह भी भूल गया कि हमले में शहीद संदीप उन्नीकृष्ण इसी राज्य के थे ,क्या इतनी जल्दी यह राज्य उन्हें भूल गया ,ऐसे में हम कया उम्मीद करें अपने युवाओं से ।
अंत मे समाचार मिला कि पूर्व राष्ट्र्पति वेंकटरमन के निधन के कारण छ्ब्बीस जनवरी को राष्ट्र्पति भवन में होने वाला समारोह स्थगित कर दिया गया और सात दिन का राष्ट्रीय शोक भी घोषित किया गया है । बेहतर होता कि शहीदों के सम्मान के लिये पहले ही कोई भव्य आयोजन ना किया जाता और क्या कभी ऐसा भी होगा जब देश के लिये शहीद होने वालों के लिये भी राष्ट्रीय शोक घोषित किया जायेगा चाहे वह साठ सैकेण्ड़ का ही क्यों ना हो ?
2 comments:
ऐसा ही होता है ...जब कोई धोखे से उन बड़े लोगों को कुछ बोल देता है तो तमाम संगठन खड़े हो जाते हैं ....कोई मोमबत्ती जलाएगा ...कोई मेल करेगा .....सरकार तो ख़ुद को बचने के लिए कुछ भी करेगी ....जब उसे जरूरत पड़ेगी वो तभी हमला करेगी ....
ऐसा ही होता है ...... बस अगले हमले तक शान्ति रहेगी और फ़िर से वही ....
अनिल कान्त
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
यहाँ जो भी किया जाता है सब वोट की राजनिति के लिए ही होता है या अपनी कुर्सी बचानें के लिए किया जाता है।बाकी सब से सरकार का कुछ लेना देना नही है।
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