Friday, January 16, 2009

चुनाव में नेताजी और जानवरों में समानता

एक गाँव में हिंदी का पेपर शुरु होने वाला था । पेपर बाँटते समय ही मास्टर जी ने सख्त ताकीद कर दी कि प्रश्न-पत्र के बारे में कोई भी उन से कुछ नही पूछेगा ,जिस की समझ में जो आयें लिख दें । इस का सबसे बड़ा कारण था कि उनकी पत्नी अनारों देवी विधानसभा चुनाव हार गयी थी और मास्टर जी का रोम-रोम गुस्से से सुलग रहा था ।प्रश्न-पत्र बाँट कर मास्टर जी अंग्रेज़ी की फिल्मी पत्रिका देखने में व्यस्त हो गये और बच्चे हिंदी का पेपर हल करने में जुट गये । प्रश्न-पत्र में निबंध के प्रश्न में लिखा था - नीचे दिये विषय पर निबंध लिखें । प्रश्न अनिवार्य है ।

चुनावों में नेताजी और जानवरों में समानता ।

प्रश्न पढ़ छात्र बेचारे परेशान ,एक दूसरे को देख रहे है ,मास्टर जी से पूछने की किसी में हिम्मत नही हो रही । पर कुछ समझ में भी नही आ रहा था । हुआ यूं था कि प्रश्न-पत्र छापने वाले ने प्रश्न तो सही छापा था बस साथ में यह नही छापा कि इन दोनों में से किसी एक पर निबंध लिखना है ।

बाकी सब ने तो उस प्रश्न को हल नही किया पर उन में से एक छात्र ने निबंध पर लिखने का फैसला कर लिया । वह लड़का अपने पिता के साथ चुनावी रैलियों में नेताओं के पक्ष में नारे लगाने जाता था ,उसे लगा उसका वह अनुभव इस प्रश्न को हल करने में काम आ सकता है । और उस ने कुछ इस तरह से निबंध लिखा -

चुनावों में नेताजी और जानवरों में बहुत समानता होती है यह नीचे दिये तथ्यों से साबित होता है -

कौआ - चुनावों में नेताजी कौऐ की तरह कांय-कांय करते है ।

कुत्ता - चुनावों में नेताजी अपने विरोधियों पर कुत्ते की तरह भौंकतें है ।

तोता - तोते की तरह एक ही वायदे को बार-बार दोहराते है ।

गधा - गधे की तरह काम करते हुये दिन में कई- कई रैलियाँ कररते है ।

उल्लू - उल्लू की तरह रात-रात जाग कर प्रचार करते है ।

बंदर - बंदर की तरह कभी गाड़ी पर तो कभी उड़नखटोले पर चढ़ते है ।

गिरगिट - गिरगिट के तरह पार्टी और ब्यान बदलते है ।

खरगोश - खरगोश की तरह अपने विरोधियों से तेज़ भागने की कोशिश करते है ।

उपरोक्त बातों से सिद्ध होता है कि चुनावों में नेताजी और जानवरों में अधिक अंतर नही होता ।

पूरा निबंध लिखने के बाद लड़के ने उसे दो बार पढ़ा कि कही उस में कोई गलती तो नही ,आखिर दस नंबर का सवाल है , फिर जब छात्र को पूरी तसल्ली हो गयी तो उसने हल की हुई शीट मास्टर जी को सौंप दी ।

अब कृप्या आप यह मत पूछिये कि उसे कितने अंक मिले । हाँ अगर छात्र का निबंध आप को पसंद आया हो तो एक प्रतिक्रिया ज़रुर दीजियेगा , आगे भी इस तरह के निबंध लिखने के लिये प्रोत्साहन मिलेगा ।

4 comments:

Vinay said...

तुम लिखो हम पढ़ेंगे और वाह-वाह करेंगे

---मेरा पृष्ठ
चाँद, बादल और शाम

रंजना said...

वाह! वाह !

अनिल कान्त said...

निबंध पढ़कर मज़ा आ गया .....बहुत खूब

vishal said...

ek line aur add kar doo neta ji or fox bhi same hee hote hai kyo ki dono hee no:1 ke DHOORT hote hai..