Sunday, November 30, 2008

आई.एस.आई चीफ से क्या चुनाव प्रचार करवाना चाहते थे ?

मनमोहन जी ,हमें और शर्मसार मत कीजिये  - पिछला लेख ब्लाग में डालने के बाद मैंने यह तय कर लिया था कि अब इस मुद्दे पर कम से कम प्रधानमंत्री को लेकर कोई लेख नही लिखूँगी क्योंकि मुझे लगता था कि अब मनमोहन जी कुछ ऐसा नही कह सकते जिस पर देश और शर्मिन्दा होगा पर चंद घण्टों में ही मेरा विचार गलत निकला । जब पूरा आप्रेशन खत्म होने को था तभी एक समाचार न्यूज़ चैनल पर प्रसारित हुआ ,

भारतीय प्रधानमंत्री ने फोन कर पाक प्रधानमंत्री से आई.एस.आई चीफ को भारत भेजने को कहा ।

खबर है कि पाक प्रधानमंत्री ने पहले हामी भर फिर इंकार कर दिया है ।

यह पता नही कि मनमोहन जी ने फोन खुद किया था या किसी के कहने पर किया । अगर खुद किया था ( वैसे देश को उम्मीद तो नही कि इतना बड़ा काम वो खुद कर सकते है ) फिर भी अगर खुद किया है तो फिर तो देश यही चाहेंगा कि वे आगे से हर काम पूछ के किया करें और अगर पूछ कर किया था तो देश यही दुआ करेगा कि अक्ल भी बाज़ार में जल्द से जल्द मिलने लग जायें ताकि सरकार चला रहें लोगों का भला हो जायें । वैसे मैंने बहुत सोचा पर यह समझ नही आया कि वे आई.एस.आई चीफ को भारत क्यों बुलाना चाहते थे ? क्या उसे बंदी बनाना चाहते थे या उसे भारत भ्रमण करवाने का इरादा था ? नही तो कही उससे पार्टी के लिये चुनाव प्रचार या वोट तो नही चाहते थे ? यह सब काम मुश्किल है । बंदी बना नही सकते और भारत-भ्रमण में सुरक्षा का खतरा होगा ,भई देश में जगह-जगह धमाके और आतंकवादी हमले हो रहे है । अब वे देशवासी तो है नही कि जिस के लिये चिन्ता ना होगी ,अरे अगर वह मर-वर गया ना तो उसे दफनाने या उसकी लाश उसके मुल्क भेजने का खर्चा भी आप ही को करना होगा और अगर हाथ-पाँव तुड़वाकर सात-आठ महीने के लिये अस्पताल भर्ती हो गया तो उसके खाने-पीने और उसकी शरीर की सिलाई का खर्चा भी आप ही को देना होगा । और अगर उससे पार्टी के लिये चुनाव प्रचार या वोट चाहते थे तो वह भी मुश्किल होता । चुनाव प्रचार में चुनाव आचार-संहिता आड़े आती और वोट करने पर बोगस वोटिंग का मामला बनता । और चुनाव आयोग नोटिस थमा देता ,इस तरह लेने के देने पड़ जाते ,बच गये ।

इसलिये देश मनमोहन जी से उम्मीद करता है कि जो काम वे अभी तक कर रहें थे वही करे । बुश को फोन करे , फीता काटे ,बुतों पर से पर्दा हटाये ,मैडम जी की जी-हजूरी करे ,राहुल को देश का तो क्या चाहें तो सारे विश्व का भविष्य बता दें और लोगों को खुशी-गमी के संदेश भेजे । पर देशवासियों की सुरक्षा और समस्याओं जैसे छोटे-मोटे काम रहने दे ।

सलाम उन शहीदों को - मुंबई हमले में जिन वीरों ने शहादत दी है उन की वीरता पर बोलने के लिये कोई शब्द नही है हमारे पास । पूरा देश ऋणी है उनका । इन में ऐसे भी कई शहीद होगें जिन्होंने बिना वर्दी और हथियार के अदम्य साहस का परिचय देते हुये दूसरों के प्राण बचाते हुये अपना जीवन कुर्बान कर दिया । उन अन्जान चेहरों और देश के बहादुर सिपाहियों को मेरा शत-शत नमन ।

“ कोई सिख ,कोई जाट ,मराठा ,कोई बंगला ,कोई गुजराती ,

इस हमले में मरने वाला हर वीर था भारतवासी ।“

“ थी खून से लथपथ काया ,फिर भी बँदूक उठा कर ,

दस-दस को एक ने मारा ,फिर गिर गये होश गँवा कर ,

जब अंत समय आया तो कह गये कि अब चलते है ,

खुश रहना देश के प्यारों अब हम तो सफर करते है “

* * * * * * * *

“ जय हिन्द ,जय हिन्द ,जय हिन्द की सेना ।“

Saturday, November 29, 2008

प्रधानमंत्री जी ,ज़रा आँख में भरीये पानी

मुम्बई हमलों के दौरान जो मनमोहन जी ने कहा ,जो किया मुझे लगा था यह इंतहा है वे देश को इससे ज़्यादा शर्मसार नही कर सकते । लेकिन मैं गलत निकली । जिस दयनीयता ,जिस लाचारी का परिचय उन्होंने दिया निश्च्य ही हर देशवासी उससे शर्मिन्दा है ( मै कांग्रेसियों की बात नही कर रही हूँ उन को शर्मिन्दगी तभी होगी जब उन की मैडम जी कहेगीं और वे तब तक नही कहेगीं जब तक कि ऐसा उन के भाषण के पेज में नही लिखा होगा ) 

सवा सौ करोड़ की आबादी वाले इस मुल्क के लोग किसी दूसरे मुल्क की मिट्टी को छू कर सोना बनाने की ताकत रखते है , बहादुरों जवानों की कमी नही है इस मुल्क में । ऐसे देश के प्रधानमंत्री ने एक अदने से मुल्क के सामने जिस तरह अपनी लाचारी को दिखाया है वह बेहद शर्मनाक है । एक मज़बूत देश का प्रधानमंत्री इतना मजबूर कैसे हो सकता है ? किस बात ने उन्हे रोका है ? इटली से आदेश का इंतज़ार है या अमेरीका से डरते है ?

आप मुम्बई का दौरा कर आये है ,पर तनिक भी विचलित नही ,ज़रा भी आँखों में नमी नही है । पूरी दुनिया हमें कायर और कमज़ोर कह रही है पर आप बिना आक्रोश के सुन रहे है , वाकाई आप बहुत बहादुर है  पर हम आप के जितने बहादुर नही है । आप अपने सामने खून से लथपथ और दर्द से कराहते लोगों को देख कर भी शांत है पर हमारे साथ ऐसा नही है । हम टी.वी पर तस्वीरें देखते है तो गुस्से और आक्रोश से भर जाते है और अगर टी.वी नही देखते तो उन तस्वीरों के दर्द से हमारी आखें नम हो जाती है और नमी इतनी ज़्यादा होती है कि सब कुछ धुंधला-धुंधला लगता है । आप या तो हमें कुछ ऐसा उपाय बताईये जिससे आप ही की तरह हमारी आँखों का पानी भी मर जायें या फिर कुछ ऐसा कीजिये जिससे हमारी आँखों की नमी आप की आँखों में भी आ जायें ।

Friday, November 28, 2008

मंत्री जी ,मेहरबानी कर टी.वी से दूर रहें

मुम्बई हमलों से पूरा देश हिला हुआ है ,नही हिली है तो केन्द्र सरकार । वही पुराने ब्यान और काम करने के वही लचर तरीके । देश पर अब तक का सबसे बड़ा आंतकी हमला हुआ है ,पर ज़रा याद कीजिये कि आप को सरकार के कितने मंत्री दिखाई दिये । हमले के कई घण्टे बीतने के बाद सरकार के रुप में क्या दिखा है -

सोनिया गाँधी का कहना था -हमला देश और समाज के लिये चुनौती है और हम सब को मिल कर इस का मुकाबला करना है ।

राहुल गाँधी का कहना था – देश आतंकवाद से लड़ेगा और जीतेगा ।

मनमोहन सिंह ने बिना पाकिस्तान का नाम लिये पड़ोसी देशों को चेतावनी दी ।

उन्हें शायद सब से बड़ी तसल्ली अमेरीका से फोन आने पर हुई होगी ।

हमारे ‘ गुणी ’ और ‘ दार्शनिक ’ गृहमंत्री हर बार की तरह अपने पिछ्ले ब्यान को दोहरा गये । बस साथ मे एक और लाईन जोड़ी कि हमलों की जान्कारी तो थी पर पुख्ता जानकारी नही थी ।

शिवराज जी आप आंतकी हमलों पर बोल रहे ना कि अपने सूट के रंग पर ,जिस के कि दुकान्दार से पुख्ता होने की गारंटी माँग रहे है ।

रक्षा मंत्री और विदेश-मंत्री ने इस पर कोई ब्यान दिये हो इस का मुझे पता नही । हाँ कपिल सिब्बल ज़रुर एक कार्यक्रम में शामिल हुये ,उन्होंने बहुत कुछ कहा पर ज़रा उन की दो बातें सुनीये -

यह हमला पूरी तैयारी से हुआ है तथा हमले मे पाक के हाथ होने के बारे में अभी वे कह नही सकते ।

कोई उन से पूछें कि अगर हमला पूरी तैयारी से हुआ है तो उनकी सरकार क्या कर रही थी ? रही पाक के हाथ होने की बात तो सिब्बल जी के ब्यान से पहले हर टी.वी चैनल पर यह खबर आ रही थी कि हमले मे शामिल आंतकी पाक से आये थे ।

इस हमले ने एक बात तो साबित कर ही दी है कि सरकार के पास आपात स्थिति से निबटने की कोई योजना ही नही है । । सरकार को लगता है कि सौ करोड़ से ऊपर की आबादी वाले देश में कुछ लोग मर भी जायेगे तो भी उन का वोट बैंक सुरक्षित रहेगा  ,बंगलादेशी है ना उन का वोट बैंक मज़बूत करने के लिये । और देशवासी भी सरकार को कितनी देर कोसेगें ,आखिर तो अपने काम में लग ही जायेंगे । सही सोच रही है सरकार ज़रा सब के ब्यानों को गौर से पढ़े ,लगता है आप को कि इन के पिछले ब्यान से अलग है । तो फिर क्यों ब्यान दे रहे है यह ? टी.वी पर इन की शक्ल देख कोफ्त हो रही है और इन के ब्यान धमाकों की निंदा , जाँच तथा कड़ी कारवाई का भरोसा ,लोगों से शांत रहने की अपील । यह सब घावों पर मरहम की तरह नही बल्कि नमक की तरह लग रहा है । इसलिये प्रधानमंत्री और उनके  मंत्री देश पर बड़ी मेहरबानी करेगें अगर वे टी.वी से दूर रहे ,बल्कि हो सकें तो देश से दूर विदेश यात्रा पर चले जाये ,धूप सेकें या मैडम की चम्मचागिरी करें ,पर टी.वी से दूर रहे । देश टी.वी पर उन की हमदर्दी की नौटकी नही देखना चाहता बल्कि अपने शहीद हुये जवानों को आखरी नमन करना चहता है , वे सलाम करना चाहता है अपने उन बहादुरों को जो अपनी जान की परवाह किये बिना आतंकियों को मुँह तोड़ जवाब दे रहे है ,और उन बेकसूरों को जो हमारी सरकार की कायरता के कारण अपने ही देश में ,अपने ही घर में बंधक बने मौत के मुँह में खड़े है ।

इसलिये देश पर आप की बड़ी मेहरबानी होगीं प्रधानमंत्री जी अगर आप और आप के मंत्री टी.वी से दूर रहे ।

Thursday, November 27, 2008

क्या प्रधानमंत्री आज रात सो पायेगें ?

देश पर हुये आंतकी हमले ने हिला कर रख दिया है । मन पीड़ा और आक्रोश से भरा हुआ है । पीड़ा उनके लिये जो बिना किसी कारण मौत के मुँह मे समा गये । एक व्यक्ति की मौत से कितने लोग प्रभावित हुये होगें ,मरने वाला /वाली किसी के पुत्र /पुत्री होगें ,इस आयु में उन के लिये  यह बहुत बड़ा सदमा है  ।

                  सोनिया जी ,प्रधानमंत्री , गृहमंत्री और मुंबई के मुख्यमंत्री ने हमलों की निंदा कर दी है । गृमंत्री जी का पुराना रिकार्ड चालू है । लोगों की सहनशक्ति की तारीफ की और बताया कि यह झगड़ा भाई-भाई के बीच नफरत पैदा करने के लिये किया गया है । अभी तक सरकार की और से यही जानकारी दी गयी है । बाकी जो भी जानकारी देश को मिल रही है वे  न्यूज़ चैनल के उन पत्रकारों से मिल रही है जो अपनी सुरक्षा की चिन्ता किये बिना वहाँ खड़े है ।

सरकार चलाने वाले लोग इतने संवेदनहीन कैसे है ? क्या वाकई देश के लोग इन के लिये वोट बैंक से अधिक कुछ नही है ? हमारे प्रधानमंत्री जी बड़े सज्जन माने जाते है । बहुत ही भावुक है ,इसीलिये बेंगलुरु मे एक माँ को रोता देख दिल्ली में बैठे हमारे प्रधानमंत्री जी सारी रात सो नही पाये थे यह बात अलग है कि दिल्ली में धमाकों के बाद ऐसा कुछ नही हुआ । तो क्या दर्द और आँसूओं में भी फर्क होता है ?

आज तो कई माताएं आँसू बहा रही है । उन के साथ पूरे देश की आँखें नम हो रही है । न्यूज़ चैनलस पर बहुत सी तस्वीरें दिखाई जा रही है  जो मन को  विचलित कर रही है ।  न्यूज़ चैनल  और कई समाचार-पत्रों में एक तस्वीर दिखायी  गयी है  , एक  नन्ही सी बच्ची जो घायल है उसे एक सुरक्षा-कर्मी गोद में उठा कर पानी पिला रहा है । तस्वीर देख कर एक और मन जहाँ विचलित हो रहा है वही प्रश्न कर रहा है कि क्या कसूर है इस बच्ची का और उन निर्दोष लोगों का जो इस त्रासदी का शिकार हुये है । पता नही कि प्रधानमंत्री ने उस तस्वीर को देखा है या नही । और अगर देखा है तो क्या  ऐसे में प्रधानमंत्री आज रात सो पायेगें ?

Friday, November 21, 2008

मुबंई ए.टी.एस का टू-इन वन ड्रामा

आज कल सबसे चर्चित धारावाहिक कौन सा है ? आप कहेगें बालिका वधू ? शायद कुछ कहे कि हड़ताल के कारण आज कल धारावहिक प्रसारित ही नही हो रहे है । तो सुनिये आज कल का सबसे चर्चित ड्रामा है ,मुंबई ए.टी.एस का । इस ड्रामे में एक्शन ,थ्रिल,रोमांच ,सस्पेंस तो है ही साथ ही है सबसे अनोखी कहानी । इस का निर्माण और प्रसारण बड़ी जल्दी में किया गया है ,इसलिये निर्माता ,लेखक का कुछ पता नही है या शायद यह भी ड्रामे को पापुलर करने का नया स्टंट हो । खैर जो भी है यह ड्रामा आज कल हर न्यूज़ चैनल पर चल रहा है । इस मे जितनी तेज़ी से साज़िशों की परतें खुलती है उतनी तो सास-बहू के किसी ड्रामे में भी नही होती थी । वैसे यह ड्रामा टू-इन वन है । यह सिर्फ उन्ही लोगों के लिये ही नही जो डेली सोप देखना पसंद करते है बलिक राजनीति में रुचि रखने वालों के लिये भी देखने वाला है । इस में इतनी जल्दी ब्यानों से मुकरा जाता है इतनी जल्दी तो नेता भी नही मुकर सकते ।

हो सकता है आप मे से कईयों ने इस ड्रामे की शुरुआती कड़ियाँ मिस कर दी हो ,पेश है उन के लिये एक रीकैप –

मालेगाँव धमाकों की जाँच मे एक साध्वी को मास्टरमाइंड बता कर पकड़ा जाता है ।

फिर अगले दिन एक रिटायर्ड मेजर को पकड़ा जाता है ।

उसके बाद एक कर्नल को मास्टरमाइंड बता कर पकड़ा जाता है । उसे अजमेर ,समझौता एक्सप्रैस आदि धमाकों का भी मास्टरमाइंड बताया जाता है । साठ किलो आर.डी .एक्स जो उसने जेहलम मे डाल दिया उसे झील में डालने से पहले किस –किस को दिया था ?

फिर दयानंद पाण्डे़ मास्टरमाइंड बन जाता है ।

कन्फ्यूज़ तो नही हो गये , फ्रिक ना करे अभी और भी होगें ,तो - -

यहाँ पर भगवान नाम के व्यक्ति का नाम आता है ।

अभी इस का नाम हवा मे होता है कि मायाराम का नाम आ जाता है ।

मायाराम भी हवा मे ही होता है कि पता चलता है कि धमाकों में आर.डी.एक्स का इस्तेमाल ही नही हुआ था ।

तू यह है अब तक का रीकैप । आप कहेगें कि यह तो किरदार है कहानी कहाँ है ? वो तो मैंने आप को शुरु में ही पता दिया था कहानी अनोखी है । यानी कहानी यही है कि एक के बाद एक किरदारों की एंट्री ।

हो सकता है कल को सास-बहू के सीरियल में मुबंई ए.टी.एस की इस अनोखी कहानी का इस्तेमाल होने लगे । या यह भी हो सकता है कि कोई भट्ट कैंप या रामसे बंधु इस पर थ्रिलर फिल्म बना दे या फिर कोई निर्माता कामेडी फिल्म बना दे ,आखिर आज कल की कामेडी फिल्में भी तो बिना कहानी के ही होती है । अगर ऐसा होता है तो मेरी सलाह मानीये फिल्म देखने से पहले सिरदर्द की गोली ज़रुर खाईयेगा ।

हाल-फिलहाल तो मुबंई ए.टी.एस जो ड्रामा रोज़ाना न्यूज़ चैनल पर दिखा रही है ,उसी को देख कर अपना सिरदर्द बढ़ाईये !

Monday, November 17, 2008

हेडन या हैड-ही नही

हेडन ने भारत को ‘ तीसरी दुनिया का देश खा है । हेडन ने पहली बार ब्यानबाज़ी की हो ऐसी बात नही है । फरवरी में जब भारत आस्ट्रेलिया के दौरे पर था तब यह हेडन ही थे जिनहोंने भज्जी और ईशांत का मज़ाक उड़ाय था और बाद में माफी माँग ली । जब आई.पी.एल खेलने आये तो ब्यान दिया कि वह भज्जी से बात कर पिछ्ली बातों को भुलाना चाहेगें । लेकिन लगता है पुरानी बातें भूलना और नये विवाद पैदा करना कगारुओं की फितरत है । हेडन ने भारत को ‘ तीसरी दुनिया का देश ’ कहा है ,ताज्जुब होता है सुन कर । हेडन को अवश्य ही कोई मानसिक तकलीफ लगती है वर्ना हेडन ऐसा नही कहते । यह हेडन ही थे जब पहली बार दौरे पर आये थे तो उन्होंने भारतीयों और सचिन तेंदुलकर की शान में कसीदे पढ़े थे ।

अगर हेडन पहली बार भारत के दौरे पर आये होते तो मानते कि उन्हें कोई परेशानी हुई होगी इसीलिये हेडन ने ऐसा कहा होगा । पर कई दौरे करने के बाद हेडन ऐसा कहते है तो मामला गंभीर माना जाना चाहिये और उन के क्रिकेट बोर्ड को भी उनकी गंभीरता से जाँच करवानी चाहिये । अक्सर खिलाड़ी अपने कैरियर की चिन्ता में बोर्ड से भी अपनी समस्याओं को छुपा जाते है । और दिमागी समस्या कोई शरीरिक चोट तो है नही जो सब को नज़र आ जायेगीं । दिमागी परेशानियों का तो तभी पता चलता है जब इंसान बहकी-बहकी बातें करने लगता है । हेडन स्वंय को विकसित देश का मानते है ज़रा उन के विकसित देश के खिलाड़ियों के व्यवहार को भी याद कर ले

पोटिंग ने शरद पवार को धकेलते हुये मंच पर से उतारा ।

आस्ट्रेलियाई प्रशंसको ने मोंती पनेसर और मुरलीधरन पर नस्लवादी टिप्प्णीयाँ क॥

क्लार्क ने नीचे से कैच उठा कर कैच की अपील की ।

गिलक्रिसट - सचिन ने भज्जी- साइमण्ड विवाद में झूठ बोला था ।

पोटिंग -सिडनी टेस्ट के दौरान भारतीयों ने उन्हें झूठा और बेईमान कहा था ,और ‘एक सीनियर

खिलाड़ी ने ’ उन्हें फोन पर धमकाया था ।

वाटसन ने गंभीर को बाज़ू दिखा कर उकसाया ।

कैमरुन वाईट ने गेंद के साथ छेड़्खानी की ।

इस के बावजूद भी अगर भारत को तीसरी दुनिया का और खुद को विकसित देश का मानते है तो फिर यह सवाल उठना लाज़िमी है कि वह हेडन है या उनका हेडन ही नही है ?

Tuesday, November 11, 2008

क्या आप ने प्रधानमंत्री को देखा है ?

सवाल पढ़ कर आप कहेगें ,‘ यह कैसा सवाल है अभी कल- - अ ,नही शायद परसों - - नही शायद पिछले हफ्ते - - या - -’ जाने दीजिये आप को याद नही आयेगा । मैं स्वंय पिछले कई दिन से अपने देश के प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह को न्यूज़ चैनल और समाचार पत्रों में खोज रही हूँ परन्तु वह मुझे मिल नही रहे । कुछ चैनल पर मनमोहन जी के फोटो सहित ब्यान अवशय आये आर्थिक मंदी ,चन्द्र्यान मिशन और त्योहारों पर देशवासियों को बधाई के। वह भी लाईव टैलीकास्ट नही बल्कि उनकी पुरानी तस्वीरों के साथ उनके ब्यान नज़र आते है। आतंकवाद ,बेलगाम महँगाई , ठाकरे ,राहुल राज केस ,बाटला एन्काऊटर ,असुरक्षित दिल्ली आदि कई ऐसे मुद्दे है जिस पर देश में आये दिन चर्चा होती ही रहती है जिस पर जनता से ले कर नेता तक बोलते है पर जिस व्यक्ति का ब्यान अहमियत रखता है वही बस खामोश है । मनमोहन सिंह जी की सरकार तथा पार्टी का लगभग हर छोटा-बड़ा नेता हर दूसरे-तीसरे दिन मीडिया में लोगों को ब्यानबाज़ी करता दिख जाता है ,नही दि्खाई देते तो मनमोहन सिंह जी। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी कहते है कि ,‘देश के बैंक पूरी तरह से सुरक्षित है ,चिन्ता की कोई बात नही । ’ पर मनमोहन सिंह जी देशवासी असुरक्षित है उसकी तो चिन्ता कीजिये । कही बम ब्लास्ट तो कही दंगे। इतना अनिश्चित तो आज शेयर बाज़ार भी नही है जितना इस महौल में एक आम आदमी का जीवन हो गया है ।
देश को इंतज़ार है मनमोहन जी के बोलने का पर मनमोअहन सिंह जी को किस का इंतज़ार है - - शायद मैडम जी की अनुमति का ।

Monday, November 3, 2008

मेरी कलम का अनुरोध

- मेरी कलम का अनुरोध है कि ब्लाग की किसी भी रचना का प्रयोग करने से पहले लेखक को इस की पूर्व सूचना अवश्य दें।

- मेरी कलम का अनुरोध है कि किसी लेख पर टिप्पणी करते हुये अशलील या भड़काऊ भाषा का प्रयोग ना करें ।

मेरी कलम का मानना है कि कलम को समाज में ज्ञान और विचारों के प्रसार के लिये प्रयास करने चहिये  जिससे समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने के लिये लोगों में जागरुकता पैदा हो ।

Sunday, November 2, 2008

कुम्बले ,क्रिकेट और कोटला

अनिल कुम्बले ने दिल्ली टैस्ट के बाद अप्ने संन्यास की घोषणा कर दी । कुम्बले के लिये यही उचित समय था क्योंकि अब वह अपनी फिटनेस से परेशान थे जिससे उन्की फार्म पर असर पड़ रहा था और ऐसे में कुम्बले ने सही फैसला लिया । क्रिकेट में कुम्बले के योगदान से हर कोई परिचित है। यह योगदान इस लिये भी अहम हो जाता है कि कुम्बले जिस दौर में क्रिकेट खेले उस में मैच जिताने के लिये या तो बल्लेबाज़ या फिर तेज़ गेदबाज़ पर ही भरोसा किया जाता था । ऐसे समय मे कुम्बले ने खुद को मैच विनर के रुप में स्थापित किया । अभी तक ऐसे बहुत कम स्पिनर हुये है जो अपनी टीम के लिये मैच विनर बने हो ,ऐसे मे कुम्बले की यह उपलब्धि और भी अहम बन जाती है । कुम्बले ना सिर्फ अच्छे खिलाड़ी है बल्कि एक अच्छे इंसान भी है । अच्छा खेलने वाले कई खिलाड़ी होते है पर महान खिलाड़ी वो होता है जो खेल को खेल भावना से खेलता है और बिना शक कुम्बले इस कसौटी पर खरे उतरते है । आस्ट्रेलिया दौरे पर कगारुओं की सारी बदतमीज़ियाँ भूल उन्हे माफ कर कुम्बले ने एक महान खिलाडी होने का परिचय दिया था ।

कुम्बले का कोटला से खास रिशता रहा है ,यही वह मैदान है जहाँ पर कुम्बले ने एक ही पारी में पाकिस्तान के दस बल्लेबाज़ों को आऊट कर  विश्व रिकार्ड बनाया था इसलिये इस मैदान से कुम्बले का विशेष लगाव होना स्वाभाविक ही है । कुम्बले के साथी खिलाडी उसे जम्बो कहते है । कुम्बले के रिकार्ड और उनका स्वभाव उन्हें इस नाम का हकदार बनाता है ।

कुम्बले ने  भले ही खेल से संन्यास ले लिया हो पर क्रिकेट और कोटला उन्हें हमेशा याद रखेगें ।