हेडन ने भारत को ‘ तीसरी दुनिया का देश खा है । हेडन ने पहली बार ब्यानबाज़ी की हो ऐसी बात नही है । फरवरी में जब भारत आस्ट्रेलिया के दौरे पर था तब यह हेडन ही थे जिनहोंने भज्जी और ईशांत का मज़ाक उड़ाय था और बाद में माफी माँग ली । जब आई.पी.एल खेलने आये तो ब्यान दिया कि वह भज्जी से बात कर पिछ्ली बातों को भुलाना चाहेगें । लेकिन लगता है पुरानी बातें भूलना और नये विवाद पैदा करना कगारुओं की फितरत है । हेडन ने भारत को ‘ तीसरी दुनिया का देश ’ कहा है ,ताज्जुब होता है सुन कर । हेडन को अवश्य ही कोई मानसिक तकलीफ लगती है वर्ना हेडन ऐसा नही कहते । यह हेडन ही थे जब पहली बार दौरे पर आये थे तो उन्होंने भारतीयों और सचिन तेंदुलकर की शान में कसीदे पढ़े थे ।
अगर हेडन पहली बार भारत के दौरे पर आये होते तो मानते कि उन्हें कोई परेशानी हुई होगी इसीलिये हेडन ने ऐसा कहा होगा । पर कई दौरे करने के बाद हेडन ऐसा कहते है तो मामला गंभीर माना जाना चाहिये और उन के क्रिकेट बोर्ड को भी उनकी गंभीरता से जाँच करवानी चाहिये । अक्सर खिलाड़ी अपने कैरियर की चिन्ता में बोर्ड से भी अपनी समस्याओं को छुपा जाते है । और दिमागी समस्या कोई शरीरिक चोट तो है नही जो सब को नज़र आ जायेगीं । दिमागी परेशानियों का तो तभी पता चलता है जब इंसान बहकी-बहकी बातें करने लगता है । हेडन स्वंय को विकसित देश का मानते है ज़रा उन के विकसित देश के खिलाड़ियों के व्यवहार को भी याद कर ले
पोटिंग ने शरद पवार को धकेलते हुये मंच पर से उतारा ।
आस्ट्रेलियाई प्रशंसको ने मोंती पनेसर और मुरलीधरन पर नस्लवादी टिप्प्णीयाँ क॥
क्लार्क ने नीचे से कैच उठा कर कैच की अपील की ।
गिलक्रिसट - सचिन ने भज्जी- साइमण्ड विवाद में झूठ बोला था ।
पोटिंग -सिडनी टेस्ट के दौरान भारतीयों ने उन्हें झूठा और बेईमान कहा था ,और ‘एक सीनियर
खिलाड़ी ने ’ उन्हें फोन पर धमकाया था ।
वाटसन ने गंभीर को बाज़ू दिखा कर उकसाया ।
कैमरुन वाईट ने गेंद के साथ छेड़्खानी की ।
इस के बावजूद भी अगर भारत को तीसरी दुनिया का और खुद को विकसित देश का मानते है तो फिर यह सवाल उठना लाज़िमी है कि वह हेडन है या उनका हेडन ही नही है ?
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