Sunday, November 2, 2008

कुम्बले ,क्रिकेट और कोटला

अनिल कुम्बले ने दिल्ली टैस्ट के बाद अप्ने संन्यास की घोषणा कर दी । कुम्बले के लिये यही उचित समय था क्योंकि अब वह अपनी फिटनेस से परेशान थे जिससे उन्की फार्म पर असर पड़ रहा था और ऐसे में कुम्बले ने सही फैसला लिया । क्रिकेट में कुम्बले के योगदान से हर कोई परिचित है। यह योगदान इस लिये भी अहम हो जाता है कि कुम्बले जिस दौर में क्रिकेट खेले उस में मैच जिताने के लिये या तो बल्लेबाज़ या फिर तेज़ गेदबाज़ पर ही भरोसा किया जाता था । ऐसे समय मे कुम्बले ने खुद को मैच विनर के रुप में स्थापित किया । अभी तक ऐसे बहुत कम स्पिनर हुये है जो अपनी टीम के लिये मैच विनर बने हो ,ऐसे मे कुम्बले की यह उपलब्धि और भी अहम बन जाती है । कुम्बले ना सिर्फ अच्छे खिलाड़ी है बल्कि एक अच्छे इंसान भी है । अच्छा खेलने वाले कई खिलाड़ी होते है पर महान खिलाड़ी वो होता है जो खेल को खेल भावना से खेलता है और बिना शक कुम्बले इस कसौटी पर खरे उतरते है । आस्ट्रेलिया दौरे पर कगारुओं की सारी बदतमीज़ियाँ भूल उन्हे माफ कर कुम्बले ने एक महान खिलाडी होने का परिचय दिया था ।

कुम्बले का कोटला से खास रिशता रहा है ,यही वह मैदान है जहाँ पर कुम्बले ने एक ही पारी में पाकिस्तान के दस बल्लेबाज़ों को आऊट कर  विश्व रिकार्ड बनाया था इसलिये इस मैदान से कुम्बले का विशेष लगाव होना स्वाभाविक ही है । कुम्बले के साथी खिलाडी उसे जम्बो कहते है । कुम्बले के रिकार्ड और उनका स्वभाव उन्हें इस नाम का हकदार बनाता है ।

कुम्बले ने  भले ही खेल से संन्यास ले लिया हो पर क्रिकेट और कोटला उन्हें हमेशा याद रखेगें ।

No comments: