Friday, October 31, 2008

यह भी पाटिल ,वह भी पाटिल

भारत के गृहमंत्री है शिवराज पाटिल और महाराष्ट्र के गृहमंत्री है आर.आर.पाटिल । शिवराज दिल्ली में रहते है और आर.आर.पाटिल मुंबई में रहते है । दिल्ली और मुंबई के बीच काफी दूरी है पर इस के बावजूद इन दोनों के बीच काफी समानता है । यह एक मात्र संजोग है पर इन दोनों के बीच की समानता हैरान कर देती है :-

-  दोनों के नाम  तीन अक्षर के है ।

- दोनों के उपनाम पाटिल है ।

- दोनों ही गृहमंत्री पद पर आसीन है ।

- दोनों का संबंध कांग्रेस से है ।

        यह समानताएं तो सामान्य है ,किन्हीं भी दो व्यक्तियों के बीच में हो सकती है । पर एक समानता ऐसी है जो वास्तव में हैरानी पैदा करती है वह है दोनों के बीच ब्यानों की समानता । आतंकवाद और अपराध पर दोनों ना सिर्फ एक जैसे ब्यान देते है बल्कि उन ब्यानों के शब्द भी लगभग एक जैसे ही होत है । जैसे- जाँच चल रही है ,कड़ी कारवाई की जायेगीं ,दोषी  छोड़े नही जायेगें ,लोग शान्ति बनाये रखे ,हम इस घटना की घोर निंदा करते है ,वगैरहा-वगैरहा ।

अब सोचने वाली बात यह है कि अन्य समानताओं की तरह ही   यह भी क्या मात्र एक संयोग ही है  या फिर कही ऐसा तो नही कि इन दोनो नेताओं के ब्यान लिखने वाला व्यक्ति एक ही हो इसी कारण इन दोनो के ब्यान एक जैसे होते है पर अगर शब्द एक है भी तो कम से कम यह दोनो अपना बोलने का अंदाज़ ही बदल ले। फिल्मों मे भी तो दो हीरों को भले ही एक ही लेखक संवाद लिख कर देता है पर दोनो के बोलने का अंदाज़ तो अलग-अलग ही होता है । यह बात आर.आर.पाटिल मुंबई में रह कर भी नही समझे । यह काम तो आर.आर.पाटिल ही कर सकते है। क्योंकि शिवराज जी के पास इन छोटे-मोटे कामों के लिये समय नही है। उन्हें अपने कपड़ों और जूतों का ध्यान रखना होता है और फिर मैडम जी से मिल उन्हें गृहमंत्री का पद देने के लिये उनका धन्यवाद  कहना होता है । ऐसे मे जनता को ब्यान देने जैसे छोटे-मोटे काम भी उन्हीं से करने की अपेक्षा की जायें ,यह तो इस उम्र में उन के साथ ज़्यादती करने वाली बात हुई ना !

Monday, October 27, 2008

मेरा प्रथम ब्लाग

                                प्रथम ब्लाग का प्रथम विचार

मैं ईश्वर ,माता-पिता ,समाज ,देश और सैनिक की आभारी हूँ। ईश्वर ने मुझे मानव योनि और उस में भी श्रेष्ठ नारी रुप में जन्म का दुर्लभ अवसर प्रदान किया । माता-पिता से मुझे अच्छी परवरिश व ऊँचे संस्कार मिले । समाज ने मुझे सभ्य तथा प्रगतिशील वातावरण में रहने के सभी प्रकार के संसाधन तथा समुचित अवसर प्रदान किये । देश से मुझे महान संस्कृति  और पूरे विश्व में  भारतीय होने की पहचान मिली । तथा सैनिक बिना मुझ से परिचित हुये मेरी रक्षा करता है । वे सारी रात जागता है ताकि मैं अपने घर सुरक्षित सो सकूँ ।

     " मेरी कलम से " मेरा प्रथम ब्लाग है ।  कलम में बहुत शक्ति है किसी कवि के हाथ में जा जनता को हँसा व रुला सकती है । इंकलाबी  के हाथ में हो तो क्रान्ति ला सकती है । 
   उम्मीद है कि मेरी कलम से भी सार्थक विचार निकलेगें।

                                            शुभ दीपावली