देश पर हुये आंतकी हमले ने हिला कर रख दिया है । मन पीड़ा और आक्रोश से भरा हुआ है । पीड़ा उनके लिये जो बिना किसी कारण मौत के मुँह मे समा गये । एक व्यक्ति की मौत से कितने लोग प्रभावित हुये होगें ,मरने वाला /वाली किसी के पुत्र /पुत्री होगें ,इस आयु में उन के लिये यह बहुत बड़ा सदमा है ।
सोनिया जी ,प्रधानमंत्री , गृहमंत्री और मुंबई के मुख्यमंत्री ने हमलों की निंदा कर दी है । गृमंत्री जी का पुराना रिकार्ड चालू है । लोगों की सहनशक्ति की तारीफ की और बताया कि यह झगड़ा भाई-भाई के बीच नफरत पैदा करने के लिये किया गया है । अभी तक सरकार की और से यही जानकारी दी गयी है । बाकी जो भी जानकारी देश को मिल रही है वे न्यूज़ चैनल के उन पत्रकारों से मिल रही है जो अपनी सुरक्षा की चिन्ता किये बिना वहाँ खड़े है ।
सरकार चलाने वाले लोग इतने संवेदनहीन कैसे है ? क्या वाकई देश के लोग इन के लिये वोट बैंक से अधिक कुछ नही है ? हमारे प्रधानमंत्री जी बड़े सज्जन माने जाते है । बहुत ही भावुक है ,इसीलिये बेंगलुरु मे एक माँ को रोता देख दिल्ली में बैठे हमारे प्रधानमंत्री जी सारी रात सो नही पाये थे यह बात अलग है कि दिल्ली में धमाकों के बाद ऐसा कुछ नही हुआ । तो क्या दर्द और आँसूओं में भी फर्क होता है ?
आज तो कई माताएं आँसू बहा रही है । उन के साथ पूरे देश की आँखें नम हो रही है । न्यूज़ चैनलस पर बहुत सी तस्वीरें दिखाई जा रही है जो मन को विचलित कर रही है । न्यूज़ चैनल और कई समाचार-पत्रों में एक तस्वीर दिखायी गयी है , एक नन्ही सी बच्ची जो घायल है उसे एक सुरक्षा-कर्मी गोद में उठा कर पानी पिला रहा है । तस्वीर देख कर एक और मन जहाँ विचलित हो रहा है वही प्रश्न कर रहा है कि क्या कसूर है इस बच्ची का और उन निर्दोष लोगों का जो इस त्रासदी का शिकार हुये है । पता नही कि प्रधानमंत्री ने उस तस्वीर को देखा है या नही । और अगर देखा है तो क्या ऐसे में प्रधानमंत्री आज रात सो पायेगें ?
6 comments:
आपके सवाल पे बस यही कहूँगा के प्रधान मंत्री तो क्या पुरा देश ही नही सो पायेगा आज,इनके लोगों के पास खेद ब्यक्त करने के सिवा कुछ नही है ,इनके पास बस रटी रटाई बात है जिसे खेद में ब्यक्त कर देते है हमेशा से ही एसा होता रहा है जब देलही में आतंक का साया मदराया और अपना कहर बरपा के गया तो कहा गया के देश की सुरक्षा सर्वोपरी है जिसे दुरुस्त करलिया जाएगा मगर ये बात सिर्फ़ कहने तक की है ....... हमें तो सिर्फ़ ख़ुद से ही लडाई लड़नी पड़ेगी.. इनपे कोई बहरोसा करना ख़ुद से बैमानी है ..... बस हमें एकजुट होके लड़ना है कोई साथ नही देने वाला इनके पास पेपर में बात लिखी होती है उसे वो जनता के पास और मिडिया के सामने कह देते है .......
खेद और दुःख के साथ ....
अर्श
वो तो कल की रात भी आराम से सोए होंगे। इन लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता। बम से देश हिल जाए इन्हें फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन कुर्सी हिल जाए तो चार दिन नहीं सो पाएंगे। आम आदमी भाड़ में जाए...इन्हें क्या लेना देना।
इस संकट की घड़ी में एकजुटता सबसे बड़ा संबल है
प्रधान मंत्री तो क्या पुरा देश ही नही सो पायेगा
एक माँ को रोता देखकर नींद नही आयी थी, मरते देखकर आ सकती है। अब तक तो इन्हें आदत हो चुकी होगी इन सब बातों की। डेमोक्रेसी का यही रोना है कि ऐसी सरकार को मिलेट्री भी नही हटा सकती।
in these 2 days even a simple man could not sleep.Unfortunately all the time this news is in the mind.everybody is in a state of restlessness.so the current need is whether the prime minister as well as the home minister will be able to WAKE UP up even now?
good try.keep it up. all the best.
upasna, Ranchi.
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